Friday, December 14, 2018

Library Quotation

1.       "Libraries are the thin red line between civilisation and barbarism."—Neil Gaiman

2.       "The health of our civilization, the depth of our awareness about the underpinnings of our culture and our concern for the future can all be tested by how well we support our libraries."—Carl Sagan

3.       "What is more important in a library than anything else-than everything else –is the fact that it exists."—Archibald MacLeish

4.       "Libraries store the energy that fuels the imagination. They open up windows to the world and inspire us to explore and achieve and contribute to improving our quality of life. Libraries change lives for the better."—Sidney Sheldon

5.       "When you are growing up there are two institutional places that affect you most powerfully: the church , which belongs to God and the public library, which belongs to you."—Keith Richards


6.       "The very existence of libraries' affords the best evidence that we may yet have hope for the future of man."—T S Eliot


7.       "To ask why we need libraries at all, when there is so much information available elsewhere, is about as sensible as asking if roadmaps are necessary now that there are so very many roads."—Jon Bing


8.       "I have an unshaken conviction that democracy can never be undermined if we maintain our library resources and a national intelligence capable of utilizing them."—Frankline D Roosevelt


9.       "Civilized nations build libraries; lands that have lost their soul close them down."—Toby Forward


10.   "They should be taking bonuses from bankers, not library books from schoolchildren. What kind of society are we building?"—Sara Sheridan





A good library will never be too neat, or too dusty, because somebody will always be in it, taking books off the shelves and staying up late reading them."
- Lemony Snicket




"Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested."
- Sir Francis Bacon.
















 

 





















Monday, July 21, 2014

Promise (वादा) कविता पुस्तकालय शिक्षार्थियों एवं व्वासायियो के उत्साहवर्धन हेतु प्रेषित की जा रही है


                                             वादा


      हे पुस्तकालय के शिक्षार्थियों , हे पुस्तकालय के व्यवसायियो |


      खुद से करो आज वादा, खुद से करो आज वादा |


      बढते रहेंगे तुम्हारे कदम आ जाये कितनी भी बाधा |


      हे पुस्तकालय ......................................................


      बढते रहो तुम उत्साह से, हटना नहीं तुम कभी राह से |


      मंजिल मिलेगी तुम्हे जरुर, चलते  रहो बस  विश्वास से |


      डगमगा जाये कदम अगर, पर रखना अटल इरादा  |


      हे पुस्तकालय .......................................................


      अपनी क्षमता को पहचानो तुम, कमजोर नहीं हो ये जानो तुम |


      ज्ञान की ज्योति जलाकर अन्दर, हर एक परीक्षा दे डालो तुम |


      देर से ही, चमकोगे तुम भी, अपेक्षाओ से ज्यादा |


      हे पुस्तकालय ...........................................................


      जीवन भले ही संघर्ष हो, मन में फिर भी सदा हर्ष हो |


      जीवन का उद्देश्य पूरा हो कैसे, इसपर, विचार विमर्श हो |


      उच्च विचार रखना सदा , जीवन भले हो सादा |


      हे पुस्तकालय ..............................................................




मनीष कुमार मिश्रपुस्तकालय सहायकबीबीएयू ,लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

Granth

Sunday, January 26, 2014

Read a Book

Would you like to travel far
From the place where now you are?
Read a book!

Would you nature's secrets know,
How her children live and grow?
Read a book!

Is it adventure that you crave,
On land or on ocean wave?
Read a book!

Would you like to talk with kings?
Or to fly with Lindbergh's wings?
Read a book!

Would you look on days gone by?
Know scientific reasons why?
Read a book!

The world before you will unfold,
For a magic key you hold
In a book!

Tuesday, January 14, 2014

सीख सको तो सीख लो लाइब्रेरी के गुर


सीख सको तो सीख लो लाइब्रेरी के गुर
वरना हाथ नहीं आयेगे उड़ जायेगे फुर

ज्ञान का भण्डार है लूट सको तो लूट
ओपन एक्सीज ट्रेंड है युजर को है छुट

युजर को है छुट मिले मन चाही पुस्तक
हर पुस्तक भी खुश है पाकर अपनी दस्तक

पुस्तकालय स्टाफ को है ये मेरी राय
समय बडा अनमोल है इसको ले बचाय

इसको ले बचाय समझ लो इसका मान
पाठक हो संतुष्ट बढाये अपना ज्ञान

वर्द्धनशील संस्था है बस इतना रखना ध्यान
प्री प्लानिग कर लेना जब हो भवन निर्माण

ज्ञान का विस्पोट है नित नई है शाख
बुक सलेक्शन ऐसा हो बचे ना कोई खाक

बचे ना कोई खाक है सिमित बजट हमारा
हर यूजर को मिले ज्ञान है ये हमारा नारा

Monday, January 6, 2014

Poem on Librarian


पुस्तकालयाध्यक्ष

सरस्वती जी के मंदिर में होता एक पुजारी
ज्ञानदान करके जनता में बनता सबका हितकारी ।
इसलिये पुस्तक भण्डार बढ़ाता करने सबकी सेवा
सही समय पर सही सलाह बन जाती है मेवा ।

पुस्तकालय के नियमों का रखकर हमेशा ध्यान
करता जो अपना कर्तव्य उसको मिलता सम्मान ।

भेदभाव को छोड़कर प्रजातंत्र का मार्ग अपनाओ
नित नूतन ज्ञान से शोध कार्य में नवीनता लाओ

अपने पुस्तकालय से ज्ञान की सतत गंगा बहाओ
सूचना क्रांति के युग में सभी को ज्ञान का मार्ग दिखाओ ।

डा. विवेकानन्द जैन
काशी हिंदू वि.वि. वाराणसी

Sunday, January 5, 2014

किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से / गुलज़ार साहब


किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से तकती हैं
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती
जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं
अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर
बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें
उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है
जो कदरें वो सुनाती थी कि जिनके
जो रिश्ते वो सुनाती थी वो सारे उधरे-उधरे हैं
कोई सफा पलटता हूँ तो इक सिसकी निकलती है
कई लफ्ज़ों के मानी गिर पड़े हैं
बिना पत्तों के सूखे टुंड लगते हैं वो अल्फ़ाज़
जिनपर अब कोई मानी नहीं उगते
जबां पर जो ज़ायका आता था जो सफ़ा पलटने का
अब ऊँगली क्लिक करने से बस झपकी गुजरती है
किताबों से जो ज़ाती राब्ता था, वो कट गया है
कभी सीने पर रखकर लेट जाते थे
कभी गोदी में लेते थे
कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बनाकर
नीम सजदे में पढ़ा करते थे, छूते थे जबीं से
वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी
मगर वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल
और महके हुए रुक्के
किताबें मँगाने, गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे
उनका क्या होगा
वो शायद अब नही होंगे!!